Kaam Chalu Hai: दोस्तों बॉलीवुड धीरे-धीरे ओरिजिनल सिनेमा से दूर होता जा रहा है जब देखो वही नाच गाना हिंदुस्तान, पाकिस्तान आइटम नंबर से लेकर ना जाने क्या-क्या लेकिन अभी भी कुछ कलाकार हैं जो इस बीच सिनेमा के ऊपर पूरा काम कर रहे हैं| हाल ही में एक ऐसी मूवी आई जिसकी कहानी इंडिया के हर आदमी से रिलेट करती है आपसे भी और मुझसे भी|
यह आतंकवाद के ऊपर इतनी फिल्म बनाकर करोड़ों कमाने वाले बॉलीवुड को भी कभी नहीं दिखा कि जितनी जान आतंकवाद ने ली है| उससे ज्यादा जाने तो हमारे देश के गड्ढों ने ले ली है| जी हां दोस्तों सही सुना आपने सड़क के गड्ढे, अब सराहनीय बात यह नहीं है कि इस पर मूवी बन गई बल्कि बात यह है कि मूवी असल में एक सच्ची कहानी पर बेस्ड है|
Kaam Chalu Hai Movie Explain
तो चलिए दोस्तों अपने दिल को थाम कर बैठिए क्योंकि आज की मूवी आपको एक अलग एहसास दिलाने वाली है, तो मूवी की शुरुआत होती है एक पिता और बेटी से बेटी का नाम होता है गुड़िया, जो कहती है पापा मैं 15 साल की होते ही इंडिया के लिए क्रिकेट खेलूंगी| आप देख लेना लेकिन पापा आप मम्मी को समझा लेना वो मेरी बात को नहीं समझती और बस पढ़ाई पढ़ाई करती रहती है|
यह सुनकर पिता कहता है कि गुड़िया मैं तेरी वजह से तेरी मां को कुछ नहीं कहता और तू टेंशन मत ले अपने खेल पर पूरा ध्यान लगा मैं तेरे साथ हूं, तो मजाक ही मजाक में गुड़िया कहती है कि पापा आप बस सिलेक्शन तक वेट कर लो| फिर आप मम्मी को डिवोर्स दे देना और मेरे साथ चलना या फिर आप एक काम करना आप मेरी शादी तक वेट कर लो|
यह सुनकर उसका पिता जोर-जोर से हंसता है और कहता है कि अरे तुम शादी करके खुद तो अपने हस्बैंड के साथ चली जाओगी और मुझे मेरी वाइफ से डिवोर्स लेने का बोल रही हो यह कैसी बात हुई| तो गुड़िया कहती है कि आप मेरे साथ चलना ना मैं आपको अपने साथ ले जाऊंगी| इन बातों पर दोनों बहुत हंसते हैं और फिर वापस घर आ जाते हैं|
घर आते ही गुड़िया की मां राधा दोनों पर बहुत चिल्लाती है कि यहां-वहां घूमने चले जाते हो मुझे घर में अकेला छोड़ देते हो और गुड़िया तुमको पढ़ाई करनी ही नहीं बस क्रिकेट खेलना है| अब दोनों बाप बेटी चुपचाप डांट खाते रहते हैं और फिर राधा शांत हो जाती है| इसके बाद हम देखते हैं कि गुड़िया का पिता मनोज अपनी बेटी को रोज की तरह प्रैक्टिस करवाने ले जाता है|
गुड़िया इतना अच्छे से परफॉर्म कर रही है और उसको मोटिवेट करता है कोच कहता है कि गुड़िया इतना अच्छे से परफॉर्म कर रही है कि अगले साल उसको हम स्टेट लेवल पर खिलाने का सोच रहे हैं| यह सुनकर मनोज को बहुत खुशी होती है इसके बाद दोनों घर पहुंचते हैं लेकिन गेट पर राधा खड़ी होती है जो उनके लेट होने से नाराज होती है|
इसलिए उससे बचने के लिए मनोज और गुड़िया ऐसे नाटक करते हैं जैसे स्कूटी खराब होने की वजह से वो लेट हुए हो पर फिर भी राधा दोनों के ऊपर भड़क पड़ती है| तो मनोज कहता है कि अरे तुम्हें अपनी बेटी पर फक्र होना चाहिए आज कोच उसकी तारीफ कर रहे थे तो राधा कहती है कि हां उस दिन फक्र करूंगी जब टीचर बोलेंगे कि गुड़िया के अच्छे नंबर्स आए हैं|
खैर अब राधा गुड़िया को लेकर चली जाती है जिसके बाद मनोज की स्कूटी सच में खराब हो जाती है और वह उसे ठीक कराने ले जाता है लेकिन मैकेनिक की शॉप बंद होती है| तो मनोज अपनी स्कूटी ऐसे ही लेकर अपने काम पर आ जाता है जहां व एक छोटे से कैफे में मैनेजर का काम करता है इसके बाद हम देखते हैं कि राधा जब गुड़िया को स्कूल से वापस लेकर आ रही होती है तो एक स्कूटर वाला पानी के गड्ढे के ऊपर से ऐसे निकलता है कि पूरा गंदा पानी गुड़िया और राधा पर आ जाता है|
मनोज पूरी शिद्दत से कैफे में अपना काम संभाल रहा होता है
जिसके बाद राधा उस आदमी को थोड़ा भला बुरा बोलकर घर आ जाती है, उधर मनोज पूरी शिद्दत से कैफे में अपना काम संभाल रहा होता है| हमें पता चलता है कि आधे से ज्यादा कस्टमर्स तो सिर्फ उसके बिहेवियर और हॉस्पिटैलिटी की वजह से वहां आते हैं| वेल अब रात को जब गुड़िया चांद को देख रही होती है तो मनोज से पूछती है कि पापा यह चांद पर काला-काला क्या है|
तो मनोज कहता है कि वो काला दाग है बेटा, ताकि चांद को किसी की नजर ना लगे जैसे तुम और तुम्हारी मां चांद हो और मैं काला आदमी वह दाग हूं जिसकी वजह से तुमको नजर नहीं लगती| इस बात पर दोनों जोर-जोर से हंसने लगते हैं अब अगले दिन मनोज अपने मालिक से एक महीने का एडवांस मांगता है| क्योंकि उसे गुड़िया की फीस भरनी होती है, उसके बाद शाम को पूरी फैमिली एक छोटे से पिकनिक पर जाती है|
जहां मनोज गुड़िया से कहता है कि बेटा इस दुनिया में कभी किसी को झुकाकर या गिराकर आगे बढ़ने की मत सोचना, हमेशा अपनी मेहनत से आगे बढ़ो और कुछ भी बनने से पहले एक अच्छा इंसान बनो घर आकर दोनों बाप बेटी आने वाले वक्त की तैयारी करते हैं कि जब गुड़िया सेंचुरी मारेगी तो आखिर वह कैसे पोज देगी| दूसरे दिन कोच लगातार गुड़िया की स्ट्रीट ड्राइव की प्रैक्टिस करवाता है ताकि वो स्टेट लेवल के लिए अच्छे से तैयार हो सके|
फिर उस शाम वो स्कूटी फिर से खराब हो जाती है तो राधा कहती है कि इसको ठीक करवा लो नहीं तो किसी दिन जब तुम अपनी बेटी को प्रैक्टिस के लिए ले जा रहे होंगे तो लेट हो जाओगे फिर बोलोगे कि यह काम पहले क्यों नहीं करवा लिया| मनोज कहता है कि पहली बार तुमने सही बात की है कल ही मैं इसको ठीक करवाता हूं| फिर हम देखते हैं कि राधा को एहसास होता है कि मनोज अकेले ही बहुत कुछ संभाल रहा है इसलिए वह मनोज से कहती है कि मैं पार्लर का कोर्स करना चाहती हूं|
मैं घर भी संभाल लूंगी और काम भी जैसे आप संभालते हो लेकिन मनोज इसके लिए मना कर देता है| वह कहता है कि तुम पहले ही इतना सब कुछ कर रही हो घर देखना ही बहुत बड़ा काम होता है और दूसरा काम करोगी तो शरीर साथ नहीं देगा| लेकिन तभी गुड़िया मनोज को समझाती है कि जैसे आप करते हो पापा वैसे ही मां भी कर लेंगी इसलिए आप टेंशन मत लो उनको सपोर्ट करो यह सुनकर मनोज अब पार्लर के कोर्स को करवाने के लिए मान जाता है|
मनोज उसे प्यासे कौवे की कहानी सुनाता है
फिर कुछ महीने बीत जाते हैं और कुछ ही महीनों में स्टेट लेवल के लिए सिलेक्शन होने वाला होता है| इसलिए गुड़िया का कोच उसे पहले डिस्ट्रिक्ट लेवल पर सिलेक्ट करके मैच खेलने के लिए तैयार करता है| अब उस दिन रात को गुड़िया को नींद नहीं आती तो वह मनोज को कहानी सुनाने के लिए कहती है मनोज उसे प्यासे कौवे की कहानी सुनाता है जो प्यासा था और इसीलिए उसने घड़े में कंकर डाल डालकर पानी को ऊपर कर लिया और अपनी प्यास बुझा ली|
मनोज पूछता है कि तुमने इस कहानी से क्या सीखा तो गुड़िया कहती है कि कंकड़ डालने से पानी जल्दी ऊपर आ जाता है| लेकिन मनोज कहता है कि पागल इसका मतलब है कि जितनी मेहनत करोगे उतना ही फल भी मिलेगा यानी मेहनत का फल सुखदाई है, पानी पीकर प्यास बुझाई वह कहता है कि इसीलिए बेटा कभी फल की फिक्र मत करना धीरे-धीरे मेहनत करती रहना उसका फल तुम्हें अपने आप मिल जाएगा|
अब कुछ दिनों में गुड़िया का रिजल्ट आता है तो उसके पेरेंट्स को स्कूल में बुलाया जाता है| राधा अंदर जाते ही टीचर को कहती है कि अगली बार बहुत मेहनत करेगी आप प्लीज इसको स्कूल से मत निकालिए| लेकिन टीचर कहती है कि हम इसको क्यों निकालेंगे हमने तो आपको यह बताने के लिए बुलाया है कि गुड़िया के नंबर्स बहुत ही अच्छे आए हैं और हमारे स्कूल की अकेली ऐसी लड़की है जिसने स्टडी के साथ-साथ स्पोर्ट्स में भी अच्छे नंबर हासिल किए हैं|
पापा कल सुबह हमको मुंबई जाना है
यह सुनकर मनोज और राधा बहुत खुश होते हैं और अपनी गुड़िया पर प्राउड फील करते हैं| फिर अगले दिन मनोज अपनी स्कूटी से रोज की तरह गुड़िया को स्कूल से रिसीव करने पहुंचता है, वापस आते वक्त दोनों पढ़ाई और क्रिकेट के बारे में बात कर रहे होते हैं गुड़िया कहती है कि पापा कल सुबह हमको मुंबई जाना है|
परसों मेरा मैच है ना तो मनोज कहता है कि मुझे याद है बेटा मैंने टिकट करवा ली है| 8:00 बजे की ट्रेन है इस बीच गुड़िया कहती है कि पापा कल पहले आप मुझे आइसक्रीम खिलाने ले चलना जाने से पहले मुझे आइसक्रीम खानी है| यह सुनकर मनोज कहता है कि फिक्र मत करो मैंने ऑलरेडी घर पर आइसक्रीम लाकर रख दी है घर चलकर खाएंगे|
उसका यह कहना होता ही है कि तभी एक गड्ढे की वजह से मनोज की स्कूटी डिसबैलेंस हो जाती है और दोनों नीचे गिर जाते हैं जहां हेलमेट की वजह से मनोज को तो ज्यादा चोट नहीं लगती| वहीं जमीन पर पत्थर से सर लगने पर गुड़िया का सर फट जाता है और उसमें से लगातार खून बहने लगता है| पहले 10 सेकंड तो मनोज को समझ ही नहीं आता कि क्या हुआ? फिर एकदम से उसे गुड़िया का ख्याल आता है वह देखता है कि गुड़िया का खून निकले जा रहा है|
ऐसी ही हालत में गोद में उठाकर इधर-उधर देखता है
आसपास खड़े लोगों से वह हेल्प मांगता है खड़े-खड़े लोग उसकी वीडियो बनाने लगते हैं तो मनोज इस बात से बहुत गुस्सा हो जाता है| कुछ लोग कहते हैं कि एंबुलेंस को फोन करो यह करो वो करो लेकिन असल में सब सिर्फ तमाशा देख रहे होते हैं इस बीच मनोज अपनी बेटी को ऐसी ही हालत में गोद में उठाकर इधर-उधर देखता है व कुछ वाहनों को रोकने की कोश कोशिश भी करता है| लेकिन कोई नहीं रुकता तो वह अपनी चोंट भूलकर अपनी बेटी को गोद में लिए हॉस्पिटल की तरफ भागने लगता है|
आते-जाते कई लोग उसको देखते हैं लेकिन कोई उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं आता| वहीं खून बहने की वजह से गुड़िया की हालत बिगड़ती जाती है अब जैसे-तैसे वो उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचता है, जहां डॉक्टर्स गुड़िया को इमरजेंसी वर्ड में भेज देते हैं| बाहर खड़े होकर वह आते-जाते डॉक्टर से कहता है कि बस थोड़ी सी चोट लगी है उसका खून रोक लीजिए, वो सही हो जाएगी|
इतने में सामने से राधा भी आ जा आती है वो उसे वही समझाता है जो हर घर में आदमी करता है, वह कहता है कि खतरे की कोई बात नहीं है बस थोड़ा सा पत्थर लगा है उसको इसलिए खून बह रहा था, डॉक्टर्स देख रहे हैं अब तक खून भी रुक गया होगा सब ठीक हो जाएगा| वो यह सब कह तो रहा था लेकिन वह अंदर ही अंदर जानता था कि मामला उतना भी सही नहीं है|
अब थोड़ी देर बाद डॉक्टर्स बाहर आते हैं और बताते हैं कि चोट लगने की वजह से इतना खून बहा कि गुड़िया कोलैक्स हो गई और हमने बहुत कोशिश की लेकिन हम उसको बचा नहीं पाए| यह सुनकर दोनों माता-पिता के पैर जैसे वहीं पर जाम हो जाते हैं उन्हें पहले जितनी जल्दी थी अंदर जाने की अब उतनी ही हिम्मत उनको आगे बढ़ने के लिए करनी पड़ रही थी| उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह सब कैसे और कब हो गया|
सीन देखकर इमेजिन करना भी बहुत मुश्किल है
बेचारा मनोज अभी तक वदहवास था लेकिन वो जानता था कि अगर वो रोया तो राधा टूट जाएगी| इसलिए वो 1 मिनट के लिए बाहर जाता है खुद को समझाता है फिर राधा को संभालता है| दोस्तों ये सीन देखकर इमेजिन करना भी बहुत मुश्किल है कि किसी पैरेट के साथ यह सब सच में हुआ होगा| अंतिम यात्रा में ले जाते हुए वह यही सोचता रहता है कि कम से कम वह अपनी आइसक्रीम तो खा जाती उसको कुछ पलों के लिए यह एहसास ही नहीं होता कि यह सब क्या हो रहा है|
फिर जब अंतिम क्रिया हो जाती है तो वह अकेले में स्टेशन जाकर उसी सीट पर बैठता है जहां अक्सर वो और गुड़िया बैठा करते थे| बार-बार वो उसको याद करके बहुत कुछ सोचने लगता है, लेकिन अपने दुख को बाहर नहीं निकाल पाता| घर आकर वह रात को पागलों जैसी हरकतें करने लगता है, वो कहता है कि राधा गुड़िया को सोने देना उसको उठाना नहीं कल सुबह उसकी ट्रेन है|
हम उसको लेकर जाएंगे और देखना वह इस मैच में बहुत अच्छा परफॉर्म करेगी इसके बाद वह कहता है कि कल उसके बैट से अच्छे शॉट लगने चाहिए, लाओ मैं उसके बैट को सही कर देता हूं इसके बाद वो उसके बैट को जोर-जोर से पीटने लगता है| लेकिन साथ में फ्रस्ट्रेट भी होता रहता है क्योंकि पीटने की वजह से वो लकड़ी का हैमर टूट जाता है|
राधा कहती है कि होश में आओ यह सब क्या कर रहे हो, तो मनोज कहता है कि अरे होश में तो हम तब आएंगे जब हम हमारी बेटी इंडिया के लिए खेलेगी और सेंचुरी मारेगी तब देखना पूरी दुनिया उसके लिए ताली बजाएगी| इतने में वो गुड़िया को अपने पास इमेजिन करने लगता है और कहता है कि देखो गुड़िया आ गई| ये हमेशा मुझसे अकेले में कहती है कि बाबा आप कहते हो कि खेलो खेलो और मां कहती हैं कि पढ़ाई करो पढ़ाई करो तो मैं आखिर किसकी सुनूं|
तो मैंने उसको समझाया कि पढ़ने के टाइम पर पढ़ो और खेलने के टाइम पर खेलो मां भी खुश और पापा भी खुश क्यों है ना बेटा, ऐसा कहकर वो जैसे ही पीछे देखता है तो गुड़िया वहां नहीं होती तो वो राधा से कहता है कि अभी तो यहीं थी कहां चली गई? हो सकता है सोने चली गई हो? ठीक है उसे जाने दो कल उसकी ट्रेन है अब रात तो ऐसे ही निकल जाती है और राधा उसको समझा नहीं पाती|
वो टीचर से कहता है कि मैडम मेरी बेटी कहां है?
लेकिन अगले दिन मनोज उठकर सीधा गुड़िया के स्कूल में उसकी क्लास में पहुंच जाता है, उसकी सीट खाली देखकर वो टीचर से कहता है कि मैडम मेरी बेटी कहां है? वो तो यहीं बैठती थी तो टीचर कहती है कि क्लास में तो नहीं है आप बाहर देखिए| अब थोड़ी देर इधर-उधर देखने के बाद वो वापस टीचर के पास आकर कहता है कि मैडम वह तो बाहर भी नहीं है आखिर कहां गई होगी? तो टीचर कहती है कि सर आज वह शायद स्कूल ही नहीं आई|
आप जाकर देखिए यह सुनकर मनोज फौरन फील्ड की तरफ जाता है और वहां उसे ढूंढने लगता है| दोस्तों एक पिता की यह बदहवास हालत को राजपाल यादव ने जिस तरीके से अभिनाया है मैं शर्त लगाता हूं कि आप जब यह देखेंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे| इसके बाद वह कोच के पास जाता है और पूछता है कि गुड़िया कहां है सर आज प्रैक्टिस पर नहीं आई क्या पता नहीं कहां है? आज स्कूल भी नहीं आ आई कोच मना कर देता है कि वह आज नहीं आई आप स्कूल में जाकर पूछो|
इसके बाद वह बाकी बच्चों से उसके बारे में पूछता है और वहां से चला आता है फिर जब वापस आते वक्त बारिश के बीच वो उसी रास्ते से निकलता है तो उसे वही गड्ढा दिखता है जिसमें गिरने से उसकी गुड़िया इस दुनिया से चली गई थी| तो यह मूमेंट उसके इमोशंस को ट्रिगर कर देता है जिसके बाद व जोर-जोर से बच्चों की तरह रोने लगता है| उसे सब याद आ जाता है जो वो भूलकर बैठा था दरअसल वो भूला कुछ नहीं था बल्कि उसका दिमाग इस कंडीशन को एक्सेप्ट करना ही नहीं चाहता था|
वह कहता है कि सर मुझे एक रिपोर्ट लिखवाने है
पागलों की तरह रोते-रोते वह उस गड्ढे को टटोलने लगता है और इधर-उधर देखकर उसी दिन को याद करने लगता है, जब वह लोगों से मदद मांग रहा था| इसके बाद वह अपनी बेटी की अस्थियों को लेता है और सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचता है वहां जाकर वह कहता है कि सर मुझे एक रिपोर्ट लिखवाने है, तो पुलिस वाला पूछता है कि किसके खिलाफ लिखवाने है|
तो मनोज कहता है कि गड्ढे के खिलाफ लिखवाना है सर, यह सुनकर पुलिस वाला कहता है कि गड्ढे के खिलाफ रिपोर्ट कैसे लिखी जाएगी तो मनोज कहता है कि एक गड्ढे ने मेरी बेटी की जान ले ली साहब इसलिए मुझे रिपोर्ट लिखवाने है| उसकी यह बात सुनकर वह ऑफिसर समझ जाता है कि उसके हाथ में उसकी बेटी की अस्थियां हैं वो उसको बैठने के लिए कहता है और थोड़ा पानी पिलाता है|
वो कहता है कि पूरी बात बताइए तो मनोज कहता है कि स्कूल से लाते वक्त मैं गड्ढे में डिसबैलेंस हो गया और वह गिर कर मर गई| तो ऑफिसर कहता है कि मैं आपकी बात को समझ सकता हूं लेकिन एक गड्ढे के खिलाफ मैं रिपोर्ट कैसे लिखूं? मनोज कहता है कि अगर गड्ढा इसका जिम्मेदार नहीं है तो जो इसका जिम्मेदार है आप उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखो या आप ही बताओ कि अगर गड्ढे ने मेरी बेटी को नहीं मारा तो किसने मारा?|
तो पुलिस वाला कहता है कि आप पता करो कि वो गड्ढा किसकी वजह से बना है उसका नाम बताओ मैं फौरन रिपोर्ट लिख दूंगा| आप परेशान मत हो इसके बाद मनोज सड़क पर निकल जाता है और सोचने लगता है कि आखिर उस गड्ढे को किसने किया होगा? मैं कैसे पता करूं? इसके बाद वो म्युनिसिपालिटी जाता है ताकि वहां ऑफिसर को जाकर सब कुछ बता सके|
लेकिन 4 महीनों तक वह रोज जाता है पर कोई उसको मिलने नहीं देता जब सभी को लगता है कि वो नहीं मानेगा तब जाकर उसे ऑफिसर से मिलने दिया जाता है| ऑफिसर पूछता है कि बताइए क्या बात है तो मनोज उसे कहता है कि मेरी बेटी गड्ढे में गिर करर मर गई| मैं रोज उस रास्ते से निकलता था अब मुझे बताइए सर कि इसका जिम्मेदार कौन है क्योंकि जो जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ मुझे रिपोर्ट लिखवानी है|
ऑफिसर पूछता है कि आपकी बेटी का देहांत कब हुआ तो मनोज कहता है कि 4 महीने हो गए तो ऑफिसर पूछता है कि आप इतने लेट क्यों आए, तो मनोज कहता है कि आपसे मिलने में मुझे 4 महीने लग गए साहब मुझे नीचे से ही वापस भेज देते थे, बोल देते थे कि आप नहीं हैं, छुट्टी पर हैं, मीटिंग में हैं लेकिन आखिरकार 4 महीने बाद आपसे मिलने में आज आ पा रहा हूं|
वह रोड बनाने का काम हमने एक कांट्रैक्टर को दिया था
ऑफिसर कहता है कि वह रोड बनाने का काम हमने एक कांट्रैक्टर को दिया था अब गड्ढा हुआ है तो उसका जिम्मेदार भी वही होगा| इसलिए मैं आपको उसका पता दे देता हूं आप उससे जाकर मिलिए और उसे बोलिए इसके अलावा अगर आपको कोई मुआवजा चाहिए तो मैं आपके लिए बात कर सकता हूं| यह सुनकर दोनों पेरेंट्स कहते हैं कि पूरी दुनिया की दौलत भी मेरी बेटी की मुस्कान के बराबर नहीं है इसलिए हमें पैसा नहीं जस्टिस चाहिए ताकि फिर किसी बेटी के साथ ऐसा ना हो|
इसके बाद मनोज और राधा सीधा उस कांट्रैक्टर के घर जाते हैं जहां मनोज उसको देखते ही मारने पीटने और गाली देने लगता है| उसे देखकर वो कांट्रैक्टर कुछ समझ नहीं पाता कि यह सब क्या हो रहा है फिर मनोज कहता है कि तेरी वजह से मेरी बेटी मर गई| तूने सड़क में मिलावट की और गड्ढा हो गया जिस वजह से मेरी बेटी को अपनी जान गवानी पड़ी यह सुनकर कांट्रैक्टर सब कुछ समझ जाता है और उसे बाहर फिकवा देता है|
वो कहता है है कि अगर तुम जैसे लोगों के बारे में मैं सोचूंगा तो मेरा क्या होगा? और लोग तो मरते ही हैं गलती तेरी है तूने गड्ढा नहीं देखा और उसमें गिर गया| यह सुनकर मनोज और गुस्सा हो जाता है और उस पर अपनी चप्पल फेंकने लगता है| लेकिन इस बाहुबली के सामने आखिरकार उसकी कहां चलने वाली थी आखिर में उसको मार पीट कर वहां से भगा दिया जाता है|
रात को दोनों हस्बैंड वाइफ बैठकर बातें करने लगते हैं, राधा कहती है कि हम किसी से नहीं लड़ सकते ये किसी एक आदमी की गलती नहीं है यह पूरे सिस्टम की गलती है हमने जो खोया है, वो हमने खोया है उन्होंने नहीं इसलिए किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता| हमने अपनी बेटी खो दी लेकिन मैं आपको नहीं खो सकती इसलिए हमें इस सब को यहीं रोकना होगा|
चाकू लेकर उसके रूम तक पहुंच जाता है
लेकिन मनोज कहता है कि ऐसा नहीं है हम सिस्टम से नहीं लड़ सकते और ऐसा कहकर वह रात को ही गुस्से में फिर से उस कांट्रैक्टर के घर पे पहुंच जाता है और चाकू लेकर उसके रूम तक पहुंच जाता है| बार-बार उसको अपनी बेटी का ख्याल आ रहा होता है और उसके अंदर बदले की भावना बहुत तेज होती है| अब जैसे ही वह चाकू से सोते हुए कांट्रैक्टर पर वार करने वाला था कि तभी उस कांट्रैक्टर की बेटी उसको पकड़कर बाबा बाबा कहने लगती है|
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जिससे कांट्रैक्टर की नींद खुल जाती है पर वह डर के मारे मनोज की तरफ नहीं बढ़ पाता क्योंकि मनोज के हाथ में चाकू था| मनोज उसकी बेटी को देखता है जिसमें उसे अपनी बेटी दिखती है, उस बच्ची के मुंह से निकली बाबा की आवाज उसको अचानक से रोक चुकी थी, उसे समझा चुकी थी कि यह सब सही नहीं है| इसके बाद वह उस बच्ची का माथा चूमता है और हाथ जोड़कर वहां से रोते हुए चला जाता है|
घर आकर वह बहुत रोता है और आखिरकार अगले दिन सुबह अपनी बेटी की अस्थियों को लेकर बहते पानी में विसर्जित कर देता है| ऐसा करते हुए वह गुड़िया को अपने पास ही फील करता है जैसे वह आजाद हो गई हो| फिर कुछ दिनों बाद मनोज टीवी पर देखता है कि एक जवान लड़के की मौत फिर से शहर के किसी गड्ढे में गिरने से हो गई है|
जिसके बाद यह मूवमेंट उसके दिमाग में फिर से ट्रिगर करता है और वह बाहर आकर अपनी स्कूटी पर सीमेंट बजरी रखकर उस गड्ढे की तरफ निकल पड़ता है| जहां उसने अपनी बेटी को खोया था वहां जाकर वह उस गड्ढे को भरने लगता है और धीरे-धीरे अब शहर के सभी मौजूदा गड्ढों को भरने लगता है ताकि फिर कोई फैमिली अपनी बेटी बेटा या किसी अपने को ना खोए|
Lost And Found | बच्चो ने ढूंड निकाला दादाजी का खजाना, लेकिन तभी?
पूरी पब्लिक उसको ऐसा करते देखती है और पागल समझती है लेकिन वह दिन रात लगा रहता है और अपने पैसों से गड्ढों को भरता रहता है वो सिस्टम से लड़ नहीं सकता था, लेकिन वो कर सकता था जो उसके हाथ में था| उम्र बढ़ती जाती है लेकिन महाराष्ट्र के सांगली शहर का मनोज पाटिल नहीं रुकता|
उसके बाद हम देखते हैं मूवी में असली मनोज पाटिल को जो उस गड्ढे को भर रहे हैं और दोस्तों इसी के बाद हम मिलते हैं असली मनोज पाटिल से जो कहते हैं कि “उस दिन के बाद मैंने रोना छोड़ दिया और जो मेरी बेटी के साथ हुआ वह किसी के साथ ना हो उसके लिए मैंने जिंदगी भर गड्ढे भरे और जब तक मैं जिंदा हूं यह सब करता रहूंगा”|
इसी के साथ इस शानदार मूवी या कहे सच्ची कहानी की यहां एंडिंग होती है| बल्कि यह कहानी तो यहां से शुरू होती है दोस्तों बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारे इस मूवी पर काम करने से हिचक रहे थे| लेकिन राजपाल यादव ने यह बीड़ा उठाया और आखिरकार देश के सामने सच्चाई रखी| मैं अपनी पूरी टीम की तरफ से मनोज पाटिल जी को हाथ जोड़कर नमन करता हूं और उनकी दीर्घायु की कामना करता हूं|